बुधवार, 29 जनवरी 2020

लोग जब गुस्से में होते हैं तो खाना क्यों छोड़ देते हैं? ऐसा कर वे क्या जाहिर करना चाहते हैं?

तीसेक साल पहले मैं भी कभी कभार नाराजगी में रात का खाना छोड़ देता था। नराजगी किसी से भी हो कारण कोई भी हो पर इस तरह की नाराजगी से चिंतित केवल मां होती थी। अब वे पीछे पड़ जातीं कि बिना खाए कैसे कोई सो सकता है।

बचपन में मां यह कहकर नींद से उठाकर खाना खिलाती कि रात में खाना नहीं खाने से एक चिडि़या भर मांस कम हो जाता है। बडे होने पर भी मां की जिद वैसी ही थी। ऐसे में कभी कभी वह भी खाना नहीं खाती। कभी वह बहुत जिद करती तो मैं कहता कि केवल दूध पीउंगा फिर। तब वह ढेर सारा छाली वाला दूध ले आती।

यूं कभी कभार काफी जिद में भूखे सोने पर मैंने अनुभव किया कि इससे नींद बहुत प्‍यारी आती थी। इस तरह धीरे धीरे यह मां को ब्‍लैकमेल करने जैसा भी कुछ कुछ होता गया कि भूखे सोने पर कितनी अच्‍छी नींद आती है।

क्या तुमने कभी मरने का अनुभव किया है?


ऐसा कहा जाता है कि सायनाइड जहर की जांच के लिए किसी वैज्ञानिक ने अपनी जान दी थी। सायनायड चाटने के बाद वह केवल एस अक्षर लिख सका था। और इसका कोई अर्थ नहीं निकला क्‍योंकि एस से स्‍वीट और शावर यानि मीठा खट्टा दोनों होता है।
हां मरने से बचने का अनुभव लोग बता सकते हैं। ऐसा दो बार मेरे साथ हुआ। दोनों बार मैं नदी में डूबने से बचा मैं। एक बार सोन नदी में तैरकर किनारे आते समय किनारे के कुछ पहले ही थक कर मेरे हाथ पांव जवाब दे गये और मैं डूबता हुआ नीचे को जाने लगा तो जब पांव टिके तो पानी नाक तक जा पहुंचा था। पर ऐसी हालत में भी मैं चिल्‍लाकर लोगों को नहीं पुकार सका था। कुछ क्षण बाद जब कुछ ताकत पैदा हुई और होश आया तो कदम आगे बढाया और आगे भी जमीन मिली तो मैं बच गया।

क्या ऋग्वेद का दशम मंडल बाद में मिलाया गया है?


अतीत के तमाम भारतीय ग्रंथों पर इस तरह के आरोप लगते हैं कि इनमें ये हिस्‍से प्रक्षिप्‍त हैं। इसका कोई संतोषजनक हल कभी नहीं दिया जा सकता। क्‍येांकि श्रुत की परंपरा के कारण एक तो हमारे पास लिखित प्रमाण नाम मात्र को हैं। फिर सुनने की परंपरा में यह सहज था कि हर सुनने वाला उसमें कुछ बदलाव करता, जोडता जाता था।
जैसे महाभारत के ही आंरभिक भाग में 24 हजार के करीब श्‍लोक थे जो आगे एक लाख हो गए। आज एक लाख वाला महाभारत ही मान्‍य है और उपलब्‍ध है। उसी तरह ऋग्‍वेद के दशम मंडल वाला भाग ही आज मान्‍य है। यह बहस बेमानी है कि दसम मंडल बाद में जोडा गया।
श्रुत की परंपरा के चलते तमाम वेदों की पाठ आधारित कई शाखाएं थीं। जिन पर आधारित वेदों में मंत्रों आदि की संख्‍या में भिन्‍नता थी। आज ऋग्‍वेद की एक ही शाखा का पाठ उपलब्‍ध है बाकी नष्‍ट हो गये।
 
· बाल मुकुंद अग्रवाल ने जवाब का अनुरोध किया है

मंगलवार, 28 जनवरी 2020

क्या भारत के राष्ट्रपिता हमेशा गांधी जी ही रहेंगे? या भविष्य में दूसरे राष्ट्रपिता भी हो सकते हैं?

राष्‍ट्रपिता कोई भारत रत्‍न जैसा सरकारी सम्‍मान या पद नहीं कि आगे यह किसी को दिया जाएगा या कोई राष्‍ट्रपिता होगा। यह किसी खास काल में खास व्‍यक्ति‍ द्वारा दिया गया सम्‍मानजनक उपाधि है जिसे आम जन ने स्‍वीकार किया।
यह वैसा ही है जैसे हम वीर शिवा जी कहते हैं या लोकमान्‍य तिलक कहते हैं। अब इस सवाल का क्‍या मतलब कि कोई वीर या लोकमान्‍य होगा या नहीं।
 
Anjoo Baghel ने जवाब का अनुरोध किया है
 
 

शुक्रवार, 24 जनवरी 2020

सिद्धिविनायक मंदिर में करोड़ों रुपए के सोने चढ़ाने से क्‍या गरीब ,बीमार व्यक्तियों की जिंदगी बदल सकती है?

मंदिरों का पैसा दरिद्र नारायण की सेवा में लग जाता तो भारत कब का भूखमरी इंडेक्‍स से बाहर हो जाता।
विवेकानंद ने कहा भी है कि ये गरीब-दुखी ही ईश्‍वर हैं।

Pawan Sahani ने जवाब का अनुरोध किया है

'मेक इन इंडिया' के लिए कविता या कुछ बेहतरीन स्लोगन क्या हैं ?

ना अपनी भाषा
को गारत करो
मेक इन इंडिया
को भारत करो।


अमृता मिश्रा ने जवाब का अनुरोध किया है

क्या आप पढ़ने के लिए कुछ दिलचस्प साझा कर सकते हैं ?

आदर्श राजा, पिता व पति : राम या दशरथ -

एक दिन यूं ही आदर्श पिता, राजा व पति पर विचार करने लगा राम-दशरथ के संदर्भ में तो पाया कि इनमें हर लिहाज से दशरथ आदर्श थे।

पहली बात कि दशरथ में पिता हेाने की इच्‍छा थी इसलिए जब संतान नहीं होती तो वे संतान के लिए यज्ञ करते हैं। पर राम में पुत्रेच्‍छा थी यह प्रकट करने वाले प्रसंग नहीं हैं कहीं। दशरथ का पुत्रप्रेम देखिए कि जब राम को वनवास होता है तो वे आदर्श पति और पिता की तरह आचरण करते हैं। वे कैकेयी को दिये वचन को तो पूरा करते हैं और खुद पुत्र की याद में अपनी जान गंवा देते हैं। इसके विपरीत राम अपनी गर्भवती पत्‍नी को घर से बाहर कर जंगल में भटकने को छोड़ देते हैं, पुत्रों की चिंता तो दूर की बात है।

दशरथ आदर्श राजा भी राम से बेहतर साबित होते हैं। आदर्श राजा पर भविष्‍य के राजा को तैयार करने की जिम्‍मेवारी भी होती है। राजतंत्र में संतान ही चूंकि राज काज की जिम्‍मेवारी संभालती है इसलिए राजपुत्रों के जन्‍म से लेकर उनके लालन-पालन तक की उचित व्‍यवस्‍था करना राजा की प्रधान जिम्‍मेदारी होती है। पर राम ने इस मामले में सोचा ही नहीं कि भविष्‍य का राजा कैसे और कौन होगा। अगर लक्ष्‍मण स्‍नेहवश सीता को उपयुक्‍त जगह नहीं छोडते और वाल्मिकी के आश्रम में उन्‍हें जगह नहीं मिलती तो भला अयोध्‍या को उसका राजा कैसे मिलता। क्‍या केवल अपने राज के बारे में सोचते रहना ही राजा का काम है या राज्‍य का भविष्‍य भी वही तय करेगा।

तीन पत्नियां होने पर भी दशरथ उनके साथ न्‍याय करते हैं और पुत्र वियोग में अपनी जान दे देते हैं पर पत्नियों पर आंच नहीं आने देते। उधर जो अपनी गर्भवती पत्‍नी को सत्‍य के आधार पर नहीं बल्कि लोकोपवाद के भय से त्‍याग दे उसका एकपत्‍नीव्रत कैसा हुआ। सीता को जंगल में छोड उसकी सोने की मूर्ति बना उसके आगे रोते रहना यह कौन सा आदर्श हुआ भला। अगर आज के पुरूष राम की तरह दूसरों के कहने पर अपनी पत्‍नी को त्‍यागने लगें तो फिर कितने जोडे साथ रह जाएंगे और कौन सा भविष्‍य का भारत तैयार होगा। इसीलिए पुराने भक्‍त जन भी सीताराम और सियाराम जपते हैं। क्‍योकि कष्‍ट सहकर भी सीता ने राजा राम के राजवंश को चलने का आधार दिया।

धीरज सिंह ने जवाब का अनुरोध किया है

आपको संयुक्त परिवार में रहना पसंद है या एकल परिवार में। इसका कारण क्या है?

अगर आपसदारी और प्रेम हो तो संयुक्‍त परिवार और माहौल में कटुता हो तो अकेले चलिए। अपनी जगह दोनों की महत्‍ता है। राम और उनकी संतानों, लव-कुश, का परिवार संयुक्‍त तो कम ही रहा। अकेलेपन ने ही उन्‍हें गढा।

दीक्षा चतुर्वेदी ने जवाब का अनुरोध किया है

मंगलवार, 21 जनवरी 2020

सेक्युलरिज्म क्या है, गंगा जमुनी तहजीब क्या होती है ?

यह एक सामान्‍य सा सवाल है, पर राजनीति ने इसे आज कठिन बना दिया। आज तक किसी ने मुझसे नहीं पूछा कि क्‍या मैं धर्मनिरपेक्ष हूं, पर शायद मेरे जवाबों से सब तय करें कि हां मैं निरपेक्ष हूं। धर्म के बारे में मैं सोचता ही नहीं फिर यह निरपेक्ष या सापेक्ष होना कैसे हो गया। सीधी सी बात है अगर मैं दूसरे धर्मों से घृणा नहीं करता तो मैं धर्मनिरपेक्ष माना जांउगा, आज के माहौल में। जब कि सभी धर्म प्रेम की शिक्षा देते हैं इस पर सभी ज्ञानी सहमत दिखते हैं।

हां इधर तीन सालों से वेद आदि का लगातार अध्‍ययन कर रहा। पर यह स्‍वाध्‍याय के आनंद के तहत। धर्म भावनात्‍मक मामला है उस पर कोई स्‍पष्‍ट जवाब कैसे दे सकता है। अगर धर्म का संबंध ईश्‍वर से है तो हर आदमी की ईश्‍वर की अपनी अवधरणा होगी। पर उसे वह केवल बता सकता है दूसरे को दिखा नहीं सकता।

गंगा जमुनी तहजीब भी मिले जुले रहन सहन के बारे में बताती है। ऐसा तो है नहीं कि गंगा शिव की जटा से आयी आयी और यमुना को मुसलमान कहीं से लेकर आये।

मिथलेश बैरागी ने जवाब का अनुरोध किया है

मंगलवार, 14 जनवरी 2020

इन्द्र कौन है? इन्द्र का चुनाव कैसे किया जाता है?

शास्‍त्रों में एक कथन है - पश्‍यतीति पशु - मतलब जो देखता है वह पशु है, यानि हमारी इंद्रियां पशु हुईं। चूंकि इंद्रियों के माध्‍यम से हम इस जगत को देखते-जानते हैं। गाय को शास्‍त्रों में अघन्‍या कहा गया है। गो का अर्थ गाय के अलावे इंद्रिय भी है और अघन्‍या का एक अर्थ इन इंद्रियों का हनन न करना है। मतलब देह में जो बुद्धि, मेघा, मन, चित्‍त, नेत्र, नाक, कान, हाथ-पांव हैं - वे अघ्‍न्‍या हैं, उनके माध्‍यम से उनके उपयुक्‍त सहज कार्य करते रहना चाहिए गलत कामों से उनका हनन नहीं करना चाहिए। इन्‍हीं इंद्रियों के स्‍वामी के रूप में इंद्र गोपति कहलाते हैं।

वेदों में इंद्र को शतक्रतु कहा गया है, इसका मतलब इस शरीर से सौ साल तक सानंद जीना है। पुरूष खुद यज्ञ है, जिसका यजमान आत्‍मा है, जिसकी पत्‍नी श्रद्धा है, यह पुरूष 24 साल की आयु से प्रात:सवन आरंभ करता है और सौ साल तक संतानोत्‍पत्ति करता हुआ जीता है यानि यज्ञ करता है। यह यज्ञ वह अपनी अघन्‍या इंद्रियों के माध्‍यम से करता है जिसका मालिक इंद्र है।

यूं इंद्र को तीन लोकों भूलोक, अंतरिक्ष और द्योलोक में अंतरिक्ष लोक का देवता वायु माना जाता है। वायु के रूप में यह इंद्र मेघ रूपी वृत्र को तडि़त कराकर बारिश कराता है, इसे ही वृत्रासुर बध की कथा के रूप में मानवीकृत किया गया है।

Sushma Kumar ने जवाब का अनुरोध किया है

सोमवार, 6 जनवरी 2020

अगर आपको आपका "सच्चा प्यार" 20 साल बाद मिल जाये तो आप क्या करोगे?

अपने पहले प्‍यार से मैं तीस साल बाद मिला, आभासी दुनिया में। चैट पर उसने कहा कि मैंने कभी खुल कर क्‍यों नहीं कहा कि उससे प्‍यार करता हूं। बस कविताएं करते रहे मुझ पर। एक बार खुलकर कहते तो आज शायद हम साथ होते।

मैंने कहा - मुझे तो पता ही नहीं चला कि तुम क्‍या सोचती हो। ऐसे में मैं कोई निर्णय कैसे ले लेता। फिर तुम्‍हारे परिवार में लगाव का भेद खुल जाने से जो रोका टोकी शुरू हो गयी थी उसने बाधा डाली, फिर तुम्‍हारी शादी हो गयी।

तीस साल बाद अजीब ढंग से उसमें मेरे प्रति दीवानगी पैदा हो गयी थी, जो उस समय नहीं थी उसमें। उसका कहना था कि वह बस एक बार मुझसे मिलना और छूकर देखना चाहती है।

पर भौगोलिक दूरी के चलते यह संभव नहीं हो पा रहा था। और मुझमें अब कोई दीवानगी नहीं बची थी। पर मेरे लिए उसका ऐतिहासिक महत्‍व तो था ही, आखि‍र वह मेरा पहला आकर्षण थी।

फिर संयोग से आते जाते एक बार आधे घंटे साथ बातें करने का मौका मिला। उसने मेरे कमीज के पाकेट में उत्‍साह पूर्वक एक कलम टांकी।

मैंने कुछ किताबें दीं। मैं कोई अतिरिक्‍त उत्‍साह नहीं दिखा पाया।

इस मुलाकात के बाद उसने कहा कि आपने मुझे तवज्‍जो नहीं दी। अब तीस साल पुरानी तवज्‍जो कहां से लाउं।

अब उनकी दीवानगी कम गयी है। पर मित्रता है, वह शायद उम्र भर रहे।


Jay Deep ने जवाब का अनुरोध किया है

रविवार, 5 जनवरी 2020

हिंदु धर्म में यज्ञ क्यों करते है इसके पीछे क्या राज है?

इसमें कोई राज नहीं है। कभी सारी दुनिया में जंगल थे। तो उन्‍हें हटाकर जंगल बनाने को जलाया जाता था। इसके लिए जंगल वासियों और उसे नष्‍ट करने वालों में लडाई होती थी। जो जंगल की रक्षा करते थे वे राक्षस कहलाए। खेती की संस्‍कृति के विकास के साथ खेतीहर समाज बढता गया। और जंगल जलाना प्रतीक रूप में यज्ञ के रूप में खेतीहर संस्‍कृति का हिस्‍सा हो गया।

 मिथुन राठोड ने जवाब का अनुरोध किया है

लोग जब गुस्से में होते हैं तो खाना क्यों छोड़ देते हैं? ऐसा कर वे क्या जाहिर करना चाहते हैं?

तीसेक साल पहले मैं भी कभी कभार नाराजगी में रात का खाना छोड़ देता था। नराजगी किसी से भी हो कारण कोई भी हो पर इस तरह की नाराजगी से चिंतित केव...