कोई मरने का अनुभव कैसे कर सकता है। क्योंकि मरना जीवन का नष्ट होना है जिसके बाद उसके बारे में बताने को कोई वापस नहीं आता।
ऐसा
कहा जाता है कि सायनाइड जहर की जांच के लिए किसी वैज्ञानिक ने अपनी जान दी
थी। सायनायड चाटने के बाद वह केवल एस अक्षर लिख सका था। और इसका कोई अर्थ
नहीं निकला क्योंकि एस से स्वीट और शावर यानि मीठा खट्टा दोनों होता है।
हां
मरने से बचने का अनुभव लोग बता सकते हैं। ऐसा दो बार मेरे साथ हुआ। दोनों
बार मैं नदी में डूबने से बचा मैं। एक बार सोन नदी में तैरकर किनारे आते
समय किनारे के कुछ पहले ही थक कर मेरे हाथ पांव जवाब दे गये और मैं डूबता
हुआ नीचे को जाने लगा तो जब पांव टिके तो पानी नाक तक जा पहुंचा था। पर ऐसी
हालत में भी मैं चिल्लाकर लोगों को नहीं पुकार सका था। कुछ क्षण बाद जब
कुछ ताकत पैदा हुई और होश आया तो कदम आगे बढाया और आगे भी जमीन मिली तो मैं
बच गया।
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