राष्ट्रवाद आज एक राजनीतिक शब्द है, इसे गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं।
अभी
दुष्यंत चौटाला राष्ट्रवादी भाजपा के साथ सराकार बनाने जा रहे। चुनावों
के दौरान उन्होंने कहा था कि क्या ये दो गुजराती हमें राष्ट्रवाद
सिखाएंगे। हरियाणा का हर दसवां आदमी सेना में है। राष्ट्रवाद राष्ट्रवाद
बोलने से नहीं होता।
मैं
जनवादी हूं, जन से ही राष्ट्र है। और कोई जन ही राष्ट्र की बात कर रहा
और कर सकता है। राष्ट्र खुद कोई बात नहीं कह सकता और कोई उसकी ठीकेदारी
नहीं ले सकता।
तो
हमें उस जन से बहस करनी होगी, पूछना होगा कि पार्टनर तेरी पालिटीक्स क्या
है, क्योंकि सगुण से ज्यादा निर्गुण भक्ति की मान्यता है, राष्ट्र भी
सगुण और निर्गुन दोनों है।
सेना
राष्ट्र है तो किसान उससे बडा राष्ट्र है क्योंकि उसके उपजाये को खाकर
ही सेना का राष्ट्रवाद जीवित रहता है। दीप जलाना राष्ट्र है तो
बेरोजगारों केा दीप जलाने को तेल बाती उपलब्ध कराना ही सच्चा राष्ट्रवाद
है।
राष्ट्र में
आप मांसाहार पर बहस चलाते हैं और बाहर जाकर गौकशों से गले मिलते हैं और
राष्ट्र जरा शर्मिंदा नहीं होता। ऐसे राष्ट्रवाद पर आधारित इस सवाल का
क्या मतलब। यह सवाल सहज नहीं।
1 बार देखा गया · आशुतोष अग्निहोत्री (Ashutosh Agnihotri) ने जवाब का अनुरोध किया है
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