आप आत्मविश्लेषण करें। नकारात्मकता के कारकों पर खुद विचार करें।
एक बार अगर कारणों पर विचार करेंगे तो फिर अगली बार कारक वही नहीं रहेंगे।
दिन के बाद रात होगी फिर दिन,यह हमारे सोचने का गलत तरीका है के अंधकार से मुक्ति चाहिए, अंधकार में ही सारा विकास होता है, बच्चा गर्भ के अंधकार में है बढ़ता है।
इस तरह सोचने पर अंधकार के प्रति नजरिया जिस प्रकार बदलेगा उसी तरह जीवन के प्रति भी सकारात्मक नजरिया बनाया जा सकता है।
एक बार अगर कारणों पर विचार करेंगे तो फिर अगली बार कारक वही नहीं रहेंगे।
दिन के बाद रात होगी फिर दिन,यह हमारे सोचने का गलत तरीका है के अंधकार से मुक्ति चाहिए, अंधकार में ही सारा विकास होता है, बच्चा गर्भ के अंधकार में है बढ़ता है।
इस तरह सोचने पर अंधकार के प्रति नजरिया जिस प्रकार बदलेगा उसी तरह जीवन के प्रति भी सकारात्मक नजरिया बनाया जा सकता है।
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