सोमवार, 23 दिसंबर 2019

रामायण अथवा महाभारत से कोई ऐसी कहानी जो आज भी प्रासंगिक हो?

महाभारत -
भीम और नकुल-सहदेव में भाग्‍य और ईश्‍वर को लेकर अक्‍सर बहस होती रहती थी। भीम भाग्‍य को नहीं मानते थे।
नकुल सहदेव को पाठ पढाने के लिए भीम ने एक बार एक चिडिया को पकड कर नकुल-सहदेव से पूछा कि बता कि इसका भाग्‍य किसके हाथ में हैं।
नकुल-सहदेव ने हार मान ली और चिडिया की जान बचाने को कहा कि भैया इसका भाग्‍य आपके हाथ है।
रामायण -
जब राम को वनवास हुआ तो लक्ष्‍मण ने राम से कहा कि भैया आप कहें तो मैं दशरथ-भरत युद्ध की चुनौती दे यहीं धूल चटा दूं और आपको गददी पर बिठाउं।
इसपर राम ने कहा कि यह शास्‍त्रोक्‍त नहीं है। पिता की आज्ञा ना मानना पाप है। फिर उन्‍होंने एक ऋषि का उदाहरण दिया जिन्‍होंने पिता के कहने पर गाय की हत्‍या कर दी थी पर उन्‍हें पाप नहीं लगा क्‍योंकि उनने पिता का वचन निभाया।
 Usha Wadhwa ने जवाब का अनुरोध किया है

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2019

क्या ध्यान किसी प्रकार की जादुई शक्ति प्रदान करता है?

 गोपाल सिंह रावत ने जवाब का अनुरोध किया है

मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

क्या भविष्य में हिन्दू धर्म का अंत सम्भव है?


देखिए, सभी धर्मों का अंत कब का हो चुका है अब इन धर्मों पर आधारित राजनीति चल रही है वह भी बाजार के नफे नुकसान के हिसाब से।

आप ही बताइए हिंदुओं का मुख्‍य धर्मग्रंथ वेद है पर कितने हिंदुओं ने वेद देखा है, पढने की बात तो दूर की है।

मनुस्‍मृति के अनुसार जो द्विज वेद नहीं पढता वह अपनी सात पीढियों के साथ शूद्र हो जाता है इस हिसाब से आज भारत में गिनती के ब्राह्मण,राजपूत भी नहीं मिलेंगे। सब शूद्र हुए फिर यह लडाई हिंदू धर्म की कहां रही।

राम मंदिर का ही मसला है तो यह भी बाजार का मामला है। दक्षिण के मंदिरों की आय आज सबसे ज्‍यादा है तो राम मंदिर बनने के बाद वह आय उत्‍तर भारत में बंटने लगेगी।

Ankur Chauhan ने जवाब का अनुरोध किया है

अण्डमान और निकोबार द्वीपसमूह के बगैर भारत का क्या होगा?


 भारत का क्‍या होगा, यह रहेगा, कुछ बात है कि हस्‍ती मिटती नहीं हमारी।

भारत देश से ज्‍यादा अवधारणा है जैसे हिंदू धर्म से ज्‍यादा अवधारणा है।

चंद्रगुप्‍त के समय के भारत का, हुमायू के, अकबर के, शाहजहां के, औरंगजेब के, अंग्रेजों के समय के भारत का और आज के भारत का नक्‍शा देखिए, हर नक्‍शा अलग है।

 Manjunatheshwara K J ने जवाब का अनुरोध किया है


सोमवार, 16 दिसंबर 2019

आदमी शराब क्यों पीता है?

शराब सेवन-मांसाहार को समाज के एक हिस्‍से में कुछ विशेष क्रिया की तरह माना जाता है इससे नये लडकों में इसके प्रति जिज्ञासा रहती है जिससे वे इस चक्‍कर में पडते हैं।
इस पर बेवजह प्रतिबंध को भी हम एक कारक की तरह मान सकते हैं जैसे हमारे देश में ब्रह्मचर्य का, संतई का बहुत ढोल बजता है और उस अनुपात में यहां बलात्‍कार रोज की घटना हो गयी है। तो यह प्रतिक्रिया या अशिक्षा के कारण भी अपनी जगह बना सकता है।
हमारे यहां जानने की बजाय अनुकरण करने पर जोर है इस तरह हम किसी विषय पर सोच विचार नहीं करते, अंधानुकरण करते हैं और गुलाम होते जाते हैं।
खुद चीजों को देख कर अपने अनुभव के आधार पर उसकी अच्‍छाई बुराई के परिपेक्ष्‍य में एक मत बना उसे नियंत्रित ढंग से प्रयोग में लाने लायक विकसित हम नहीं हुए हैं।
बुद्ध अहिंसा प्रेमी थे पर उनकी मौत भिक्षा में मिले मांस के खाने से हुई थी। हमें जीवन के अंतरविरोधों को भी उसके समय के संदर्भ में देखना आना चाहिए।
मेरे पिता वैष्‍णव थे, मेरे घर में कभी मांस शराब प्‍याज का प्रयोग नहीं हुआ। पर चाचा लोग मिलिट्री में थे वे इस सब का सेवन करते थे। तो मैंने भी उनकी संगत में यह सब चखा। पर ये चीजें मेरी पसंद में शामिल नहीं हुईं तो ऐसी कोई आदत नहीं बनी।
सवाल है अपनी पसंद बनाने भर आजादी जब तक समाज में नहीं होगी तब तक हम किसी बुराई को उपदेश से नहीं रोक सकते।

 Pradeep Srivastava ने जवाब का अनुरोध किया है

लोग जब गुस्से में होते हैं तो खाना क्यों छोड़ देते हैं? ऐसा कर वे क्या जाहिर करना चाहते हैं?

तीसेक साल पहले मैं भी कभी कभार नाराजगी में रात का खाना छोड़ देता था। नराजगी किसी से भी हो कारण कोई भी हो पर इस तरह की नाराजगी से चिंतित केव...