देखिए, सभी धर्मों का अंत कब का हो चुका है अब इन धर्मों पर आधारित राजनीति चल रही है वह भी बाजार के नफे नुकसान के हिसाब से।
आप ही बताइए हिंदुओं का मुख्य धर्मग्रंथ वेद है पर कितने हिंदुओं ने वेद देखा है, पढने की बात तो दूर की है।
मनुस्मृति के अनुसार जो द्विज वेद नहीं पढता वह अपनी सात पीढियों के साथ शूद्र हो जाता है इस हिसाब से आज भारत में गिनती के ब्राह्मण,राजपूत भी नहीं मिलेंगे। सब शूद्र हुए फिर यह लडाई हिंदू धर्म की कहां रही।
राम मंदिर का ही मसला है तो यह भी बाजार का मामला है। दक्षिण के मंदिरों की आय आज सबसे ज्यादा है तो राम मंदिर बनने के बाद वह आय उत्तर भारत में बंटने लगेगी।
Ankur Chauhan ने जवाब का अनुरोध किया है
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