मंगलवार, 12 नवंबर 2019

क्या कोई सत्य है जिसको खोजा जा सके ? सत्य किसे कहते हैं, सत्य खोजना कहाँ जाना होगा ? क्या ऋषि मुनि हिमालय की ओर सत्य की खोज में जाते थे ?


जब तुझे लगे / कि दुनिया में सत्‍य / सर्वत्र / हार रहा है // समझो / तेरे भीतर का झूठ / तुझको ही / कहीं मार रहा है - ये मेरी  ही कविता पंक्ति‍यां हैं, पर ये आपके सवाल का जवाब नहीं हैं -

देखा जाए तो कोई निरपेक्ष सत्‍य नहीं होता, किसी विषय की सापेक्षता में ही सत्‍य पर बात की जा सकती है। आप किस विषय से संबंधित सत्‍य जानना चाहते हैं यह पता होने पर ही उस पर कुछ कहा जा सकता है।
जिस विषय पर आप सामने वाले को कनविंश कर सकते हों कि यह इस कारण से ऐसा है या ऐसा नहीं है वही आपका सत्‍य है।
जीवन सत्‍य का अर्थ सामान्‍यतया जीवन और मृत्‍यु है। हम आते कहां से हैं और जाते कहां हैं यही सवाल हैं जिसके जवाब की खोज को सत्‍य की खोज कहा जाता है और आज तक इसका कोई संतोषजनक उत्‍तर नहीं मिल सका है किसी को।
ऋषि मुनि इसी सच की खोज में हिमालय में जाते थे मतलब वे प्रकृत्ति में खो जाते थे, वहां से लौटकर आकर सच बताने के प्रसंग नहीं हैं। यह प्रतीकात्‍मक कथन है, कि वे सच की खोज में हिमालय में गये। ऋग्‍वेद के नासदीय सूक्‍त में भी यह सवाल की तरह ही है -
इयं विसृष्टिर्यत आबभूव यदि वा दधे यदि वा न।
यो अस्याध्यक्षः परमे व्योमन्त्सो अंग वेद यदि वा न वेद ॥7॥
यह जगत कैसे अस्तित्‍व में आया किसने इसे बनाया यह सब इसे बनाने वाले को पता होगा या क्‍या जाने उसे भी पता है या नहीं।
गांधी ने कहा कि सत्य ही ईश्‍वर है। और सच वही है जो व्‍यक्ति‍ व समाज के हित में सकारात्‍मक है।

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